१. बेलपत्र पर जब मैं तुम्हारी प्रतिक्षा लिखकर महादेव को अर्पण कर रही थी ठीक उसी समय दूर किसी वृक्ष पर एक चिड़िया मिलन के बाद बिच्छड़ने का गम गा रही थी । २. मुझे बिहड़ में बिठाकर मेरे सपनें मलबें में तब्दील कर तुम चाहते हो मेरी कलम से रंगीन तितलियों की उन्मुक्त उड़ान मैं लिखूं ? ३. कागज पर उतारी कविता दुनिया पढ़ती है पर पूर्णवीराम के बाद कलम जो बिंदू उकेरती है उसमें मेरे जीवन का सफर होता है जिसे केवल तुम पढ़ सकते हो ४. कुछ ने चाहा मैं खामोश रहूं मैं खामोश रही पर मेरी कलम गुस्ताख़ी कर गयी ।