अभी-अभी किताब के पन्ने पलटते समय दो पन्नों के बीच दबाकर एक चींटी की हत्या कर दी गई ख़बर नहीं फैली ठीक उसी घटना की तरह जब कुछ दिन पूर्व रेलवे की लाइन बिच्छाते समय घने जंगल में कुछ मजदूर मलबे के आधीन हो गए थे और एक ही रात में सरकारी बहीखाते से उनके नाम भी गायब हो गए थे चींटी की लाश की तरह ही उनकी लाशों को भी दो पन्नों के बीच दबाकर रख दिया गया जहाँ एक कवि ने लिखा था मजदूर विकास का पहिया है उसकी देह में बहते लहू की कसम उसके साथ अन्याय होने नहीं देंगे हम