समंदर ने पानी उधार लिया है नदियों से जैसे उधार लेते हैं कुछ एक पिता बेटियों से उनकी संपत्ति और अधिकार के साथ चलाते हैं पितृसत्ता का साम्राज्य नदियाँ विलुप्त हो रही हैं समंदर को भविष्य की बंजरता का आभास फिर भी नहीं हो रहा है
मछलियां नहीं लौटती है पानी के पास कभी जाल में फंसने के पश्चात आदमी नहीं लौटता है जीवन के पास कभी मृत्यु को वरण करने के पश्चात इसलिए लौट आई थी वो उन सभी जगह पर हो सकता है उसका लौटना अंतिम बार हो क्यों कि उसका जाना तय था