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फ़रवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
कुर्सी कुछ लोग कुर्सी के उपर बैठे हैं कुछ लोग कुर्सी से नीचे बैठे हैं कुछ लोगों ने कुर्सी को घेर रखा है कुछ लोग उंचककर बस कुर्सी को ताक रहे हैं और एक भीड़ ऐसी भी है जिसने कभी कुर्सी को देखा ही नहीं है पर  कुर्सी के ढांचे में गड़ी जो कील है वो इसी भीड़ के पसीने का लोहा है देखना है भीड़ कुर्सी को कब देखेगी जब कुर्सी से कील अलग हो जाएगी या जब इस कुर्सी पे बैठे व्यक्ति का जमीर जाग जायेगा