इम्तहान लेती है जिन्दगी जीवन से मृत्यू तक के सफर में पर्चे भर देते हैं हम उम्मीदों के स्याही से ओढकर कल्पनाओं के पंख हो जाते है हम खड़े संघर्ष के पर्वतों के नीचे पाना होता है हमें चोटी पर खिला हुआ ईच्छारूपी पुष्प इम्तहानों के दौर में रोपने होते है हमें शिला रूपी धरा के अतंस तले बीज भविष्य रूपी तरू का फलो के हर्ष का उत्साह मनाया ही कब हमने चींटी के कतार सम प्रश्न उत्तर की तलाश मे हम यूँ इम्तहानों के दौंड मे शामिल होते हैं हम तुम। कावेरी