सिंगल मदर होना औरतें खुद से नहीं चुनती हैं ! बल्कि जब एक पुरुष गैर जिम्मेदार होता है ,उस स्थिति में अपने कंधों पर जिम्मेदारियों को उठाकर घर , नौकरी बच्चे इन तमाम चीजों के पिछे एक औरत खुद का जीवन भी जीना भूल जाती हैं । वह पूरी तरह से अपने बच्चों के लिए समर्पित होती हैं और एक मोड़ ऐसा भी आता है,! जब कुछ पुरुष उनके अकेलेपन को दूर करने का दिखावा भी करते हैं और ऐसी स्थिति में कभी -कभी औरतें भी विश्वास कर बैठती हैं ! पर बहुत कम मामलों में पुरुष उनका साथ देते हैं नहीं तो हम अक्सर देखते हैं उनके हिस्से वही यातनाएं वही पीडा़ये आ जाती हैं । सिंगल मदर का जीवन उतना आसान नहीं होता है उन्हें समाज में हर दिन एक नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है बच्चों के स्कूल से लेकर जहां वो रहती है जिस जिस रास्ते से गुजरती है हर जगह उन्हें प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा जाता है । कुछ तथाकथित पुरुष वर्ग उन्हें खुले मिठाई के डिब्बे की तरह मानता है पर उनका साथ देना नहीं चाहता है कुछ समय बाद बड़ी आसानी से पीठ दिखाकर नदारत भी हो जाता है। अक्सर उनके बच्चों के चेहरे पर पिता के साथ ना होने का जो दर्द उभरकर आता है उसे न ज