सबके पास धर्म के नाम पर
हाथों में उस बनिये का तराजू हैं
जो अपने अनुसार तौलता है
धर्म के असली दस्तावेज तो
उसी दिन अपनी जगह से
खिसक गए थे जिस दिन
स्वार्थ को अपना धर्म
बेईमानी को अपना कर्म
चालाकी को अपना कौशल समझकर
इंसानियत के खाते में दर्ज किया था
वाह!क्या खूब कहा 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मित्र
हटाएंबहुत उम्दा, बस बनिए की रशीद की जगह तराजू कर लें तो बढ़िया है
जवाब देंहटाएंजैसी आप की आज्ञा भाई धन्यवाद
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंवाह ! सीमित शब्दों में बङी बात !
जवाब देंहटाएंधारदार ।
धन्यवाद
हटाएंसही कहा आपने... धर्म को लेकर ज़्यादतरों की सोच का सटीकता से चित्रण किया है...
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंसही कहा
जवाब देंहटाएंकटु सत्य
जवाब देंहटाएंवाह !!!
जवाब देंहटाएंक्या बात...