तुमने समस्याओं को फाइलों में
उलझाकर रखा था
चुनावी मौसमों में
मंचन से रुझाया था
हाथों के इशारे कर-करके
जनता और नेताओं के
बिच की दूरीयों को
बताया था
तुम्हारे बाप दादाओं ने
अगर दलों में पसीना बहाया था
तो क्या हुआ हमारे भी
पूर्वजों ने
आजादी की लड़ाई में
खून बहाया था
बस आज फर्क केवल इतना सा है
तुम्हारे पूर्वजों के नाम से इतिहास बना है और
हमारे पूर्वजों के नाम से मिट्टी का रंग गहरा है ।
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (12-01-2022) को चर्चा मंच "सन्त विवेकानन्द" जन्म दिवस पर विशेष (चर्चा अंक-4307) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद आदरणीय
हटाएंसुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसही कहा...बहुत सटीक ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन
वाह!!!
बस आज फर्क केवल इतना सा है
जवाब देंहटाएंतुम्हारे पूर्वजों के नाम से इतिहास बना है और
हमारे पूर्वजों के नाम से मिट्टी का रंग गहरा है.... बहुत सुन्दर!