सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ईश्वर

ईश्वर 
इन दिनों बीहड़ में बैठकर
पाषाण पर लिख रहा है
दस्तावेज सृष्टि के पुनर्निर्माण का

उसके पहले वो छूना चाहता है
जंगली जानवर के हृदय में स्थित प्रेम
जिसका वह भूखा है सदियों से

उसने खाली कर दी तमाम बैठकें
जहां पाप के कीचड़ में पुण्यबीज
बोने की इच्छाएँ जमा हो गई हैं 

दिमागों को अंतिम आशीर्वाद देकर
वो वहाँ से उठ चला है

नदियाँ बीहड़ की तरफ मुड़ी हैं
सुना है ईश्वर के चरणों के स्पर्श से
बंधनमुक्त सांसें भर रही हैं 

वनराई के सबसे ऊँचे तरू से
बेल खींचकर ईश्वर ने
पुरूषों के कदमों का माप लिया है

कछुए के पीठ की कठोरता 
उसने अपने कलम में भरकर
 गढ़ ली है
स्त्री की प्रतिमा। 

तमस गुणों को नवजात के
मुट्ठी में बंद करके
ईश्वर ने बांध दिया है
स्वार्थी मनुज को 
दंन्तुरी मुस्कान में ।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत बहुत अद्भुत रचना |समूची सरसता मधुरता का आगार

    जवाब देंहटाएं
  2. सारगर्भित संदेशों को प्रतिरोपित करती गूढ़ रचना..

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत गहरी और सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दु:ख

काली रात की चादर ओढ़े  आसमान के मध्य  धवल चंद्रमा  कुछ ऐसा ही आभास होता है  जैसे दु:ख के घेरे में फंसा  सुख का एक लम्हां  दुख़ क्यों नहीं चला जाता है  किसी निर्जन बियाबांन में  सन्यासी की तरह  दु:ख ठीक वैसे ही है जैसे  भरी दोपहर में पाठशाला में जाते समय  बिना चप्पल के तलवों में तपती रेत से चटकारें देता   कभी कभी सुख के पैरों में  अविश्वास के कण  लगे देख स्वयं मैं आगे बड़कर  दु:ख को गले लगाती हूं  और तय करती हूं एक  निर्जन बियाबान का सफ़र

जरूरी नही है

घर की नींव बचाने के लिए  स्त्री और पुरुष दोनों जरूरी है  दोनों जितने जरूरी नहीं है  उतने जरूरी भी है  पर दोनों में से एक के भी ना होने से बची रहती हैं  घर की नीव दीवारों के साथ  पर जितना जरूरी नहीं है  उतना जरुरी भी हैं  दो लोगों का एक साथ होना

उसे हर कोई नकार रहा था

इसलिए नहीं कि वह बेकार था  इसलिए कि वह  सबके राज जानता था  सबकी कलंक कथाओं का  वह एकमात्र गवाह था  किसी के भी मुखोटे से वह वक्त बेवक्त टकरा सकता था  इसीलिए वह नकारा गया  सभाओं से  मंचों से  उत्सवों से  पर रुको थोड़ा  वह व्यक्ति अपनी झोली में कुछ बुन रहा है शायद लोहे के धागे से बिखरे हुए सच को सजाने की  कवायद कर रहा है उसे देखो वह समय का सबसे ज़िंदा आदमी है।