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हमें मंजूर है

हमें मंजूर है सीप बनकर रेत में दफन होना
शर्त फकत इतनी सी है तुम मोती बन चमको

हमें मंजूर है बीज बन मिट्टी में दफन होना
शर्त फकत इतनी सी है तुम फूल बन महकना

हमें मंजूर है मेघ  बन पानी में घुल जाना
शर्त फकत इतनी सी है तुम वृक्ष  बन लहलहाना

हमें मंजूर है सूखे  पत्ते बन धरा पर बिछ जाना
शर्त फकत इतनी सी है उस राह से तुम गुजरना

हमें मंजूर है तेरे लिये स्वर्ग  कि तलाश मे मर जाना
शर्त फकत इतनी सी है उसे मुक्कमल न तू करना

टिप्पणियाँ

  1. अहा सावन की बूंदो में सराबोर पंक्तियाँ | बहुत ही प्यारी रचना , सरिता जी

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  2. बढ़िया रचना..
    कल मेरी धरोहर में साझा करूँगी
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 15 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. समर्पण लिए बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .
    सादर

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