१
आंखों के किनारे पर
एक बून्द आंसू छिपा रहता है
मेरे ह्रदय के साथ हर क्षण
मौन संवाद करता रहता है
२
तुम्हारी यादों से जब
मैं मौन संवाद साधती हूँ
तब आँखों से बहते आँसू
शब्द - शब्द बन विह्वल हो उठते हैं
३
तुम्हारा होकर भी
तुम्हारा ना होकर रहना
तकलीफ देता है
४
डायरी के अंतिम पन्ने पर
लिखी एक कविता हो तुम
बया न कर पाऊंगा मैं कभी
वो दर्द हो तुम।
६
दो आंखें
रोज बैठती है
खिड़की पर
दूर तलक
जाती है
खाली हाथ
लौट आती है
६
लफ़्ज़ों को डुबो दिया है
हमने आंसुओं के सैलाब में
अब एहसास का दरिया जब भी उमड़ता है
रख देती हुं लफ़्ज़ों को आसमान पर
७
जहाँ पर तुमने
अपने वचनों को तोड़ा था
वहीँ पर मेरी मुस्कुराहट ने दम तोड़ा था
सारी बहुत सरल भावपूर्ण और प्यारी पंक्तियाँ हैं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंभावपूर्ण क्षणिकाएँँ !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद दी
हटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण शब्दचित्र।
जवाब देंहटाएंस्वागत है मेरे ब्लॉग पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
बहुत अच्छी और प्रभावी क्षणिकाएं लिखी हैं
जवाब देंहटाएंबधाई
आभार आदरणीय मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद
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जवाब देंहटाएंडायरी के अंतिम पन्ने पर
लिखी एक कविता हो तुम
बया न कर पाऊंगा मैं कभी
वो दर्द हो तुम।
६
दो आंखें
रोज बैठती है
खिड़की पर
दूर तलक
जाती है
खाली हाथ
लौट आती है
६
लफ़्ज़ों को डुबो दिया है
हमने आंसुओं के सैलाब में
अब एहसास का दरिया जब भी उमड़ता है
रख देती हुं लफ़्ज़ों को आसमान पर
७
जहाँ पर तुमने
अपने वचनों को तोड़ा था
वहीँ पर मेरी मुस्कुराहट ने दम तोड़ा था
लाजवाब ,बहुत ही सुंदर सारी की सारी
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसशक्त और भावपूर्ण क्षणिकाएँ लिखती हैं | बधाई !आपकी क्षणिकाएँ मैं पहली बार पढ़ रहा हूँ |
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