अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है , और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है | हम रिश्तें को किसी खाने के पेकट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं | या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है | वैसे ही हम कही बार रिश्तें को डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं , जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है | ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय और तकलीफ ही आती है | माना की इस तेज रफ्तार जीवन की शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबेहतरीन क्षणिकाएं सादर
जवाब देंहटाएंस्नेह❤
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंधिरे की जगह धीरे और पुछ की जगह पूछ होना चाहिए, सभी क्षणिकाएँ बहुत ही सुंदर हैं
जवाब देंहटाएंजी धन्यवाद
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंबहुत खूब..शानदार क्षणिकायें
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंगणेश चतुर्थी की आपको हार्दिक शुभकामनाएं। रिद्धि सिद्धि के दाता गणपति सभी को आरोग्य व सुख समृद्धि प्रदान करें 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर क्षणिकायें।
आप को भी शुभकामनाएं धन्यवाद🙏
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