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जीवन यात्रा

मेरा कहने लायक 
बहुत कम था मेरे पास 

कुछ सालों बाद 
तुम आए तुमने सदा कहां 

मुझे देख सकती हो तुम
हर उस रिश्ते में
जो तुम्हारे जीवन की बंजरता पर
कभी नहीं उग आये

कुछ सालों तक मेरी यात्रा में 
बहुत कुछ शामिल रहा 
मेरा कहने लायक 

एक दिन तुम बीच यात्रा में 
आगे चले गए और मैं 
छुटती गई तुम्हारे पास से 
थोड़ी-थोड़ी और एक दिन 
मैंने महसूस किया 
आज मेरे पास मेरा कहने लायक 
मैं भी नहीं बची हूँ

तब तक तुम भी आगे के रास्ते से 
ओझल होते गए और 
मेरा  आगे का रास्ता
 बहुत बड़ी खाई में तब्दील हो गया 
अब मेरा कहने लायक मेरे पास 
चंद सांसें हैं जो मृत्यु की प्रतीक्षा में लीन है

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