अपना खाली समय गुजारने के लिए
कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए
|क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं,
एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है ,
और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है |
हम रिश्तें को किसी खाने के पेकट की तरह
खत्म करने के बाद फेंक देते हैं |
या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद
उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है |
वैसे ही हम कही बार रिश्तें को
डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं
पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं ,
जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना
रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है |
ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय
और तकलीफ ही आती है |
माना की इस तेज रफ्तार जीवन की
शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है
और इस, चलन के चलते हमने
धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है
पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर
मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 01 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंयूज एंड थ्रो का चलन ही खराब है और रिश्तों में तो यूज एंड थ्रो कहीं फिट ही नहीं बैठता।
जवाब देंहटाएंसही कहा ...आजकल रिश्ते भी लोग ऐसे ही निभा रहे हैं जब तक मतलब है रिश्ता है मतलब खतम रिश्ता भी खतम ।
जवाब देंहटाएंबहुय सुन्दर सृजन ।
स्वार्थ के लिए बने रिश्ते ज्यादा दिन नहीं चलते । सारगर्भित अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंgehari rachana , ati sundar!
जवाब देंहटाएं