ठीक उसी समय रहा
अंधेरा मेरी दहलीज पर
जब आसमान पूर्ण चंद्र से
सुशोभित रहा
ठीक उसी समय
रंग रहे फीके मेरे चेहरे पर के
जब इर्द गिर्द उड़ता रहा
रंग त्योहारों का
ठीक उसी समय
मैं उपवास पर निकल गई
जब अनेक मिष्ठानों से
भरी रही मेरी या
फिर तेरी रसोई
ठीक उसी समय
मैं तपती रही
जब पूरी सृष्टि
मेघ में नहाती रही
मेरा इतना भर सवाल है
तुमसे आज
ठीक उसी समय तुमने
मुझे उदास क्यों किया
जब इर्द गिर्द हर्ष पसरा था ?
ठीक उसी समय
तुमने मुझे अनछुवा क्यों रखा
जब मेरी देह
आखिरी बंसत की
आहट से विचलित हो रही थी?
ठीक उसी समय
तुमने क्यों मेरे शब्दों के
जगह पर रख दिये
आंसुओं के जलाशय
जब मैं चाहती थी
एक खुबसूरत भाषा में
कर दूं अपना प्रेम निवेदन
जैसे अभी अभी
एक खिलखिलाते प्रेमी जोड़ने
चुम लिया है एक दुसरे
का माथा और अंबर
झुक गया लाल रंग की
काया ओढे
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