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कठिन समय

समय बहुत विकट था
लेकिन उतना भी कठिन नहीं था
कि तुम भाग गए सबसे पहले
जो रिश्तों के कतार में
सबसे आगे होने का दावा करता रहा |

मैं  बुरे समय के कारण नहीं मारी गई
बल्कि इसलिए मारी गई थी
मेरे हृदय  के गर्भ में
जहां तुम्हारे लिए अनुराग
का जन्म हुआ था
उस हृदय के गर्भस्थली में
भारी रक्तपात हुआ था उस दिन
और मेरी देह क्षीणतर होती गई थी |

समय बहुत कठिन था
पर उतना भी बुरा नहीं था
कि मैं बच नहीं सकती थी
मुझे तो मेरे  ह्रदय के गर्भ में जन्मे
प्रेम ने मार डाला जो तुम्हारे लिए था  |

टिप्पणियाँ

  1. अत्यंत मार्मिक कविता। हृदय को छीलती हुई।

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    1. असंवेदनशील व्यवहार से जब संवेदनशील इंसान आहत होता है तो कुछ इसी तरह से रचा जाता है धन्यवाद आदरणीय

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दु:ख

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