मैं हर यात्रा में तुम्हारी अदृश्य सहयात्री हूँ
तुम अपने गंतव्य पर उतर जाते हो
और तुम्हारे पदचाप की ध्वनि
मेरे अंतिम पड़ाव तक
कानों में घुमती रहती हैं
तुम्हारे शब्द
खिड़की से दस्तक
दी हुई धूप से
मेरी झुलसी त्वचा पर
किसी ऋषि के
कमंडल से
निकले जल सा प्रभाव करती हैं
इतना आसान कहां होता है किसी का सहयात्री होना।
जवाब देंहटाएंपर मुमकिन भी नहीं होता है
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