चांद और तारों की तमन्ना नहीं थी
न ही फुलों के बगीचे की चाहत
आना चाहते थे हम तुम्हारे ह्रदय में
तुम्हारे ही कदमों के सफर से
चाहत थी बस इतनी सी
जहाँ छोड़ देती है छाव साथ मेरा
तुम धाम लेते वहाँ काश हाथ मेरा
जहाँ मै रुट जाती काश वहाँ तुम
मौजूद होते............
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