सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

इस बाजार का रुख समझना होगा

अब कुछ दिन 
बोलने से बचना चाहता हूं मैं 

अब सुननी है सबकी ध्वनियाँ 
और सीखनी है बात के पीछे की असल बात 
इस कला को सीखे बिना 
मैं नहीं समझ सकता हुं 
दुनिया का यह बाजार 

पहाड़ के पीछे भी एक पहाड़ होता है
नदी के नीचे भी एक नदी होती हैं
 वैसे ही मनुष्य के चेहरे के 
पीछे भी एक चेहरा होता है 

जुड़वां चेहरे का 
गणित  सीखना है अभी बाकी 

खुली मुट्ठी सिर्फ भ्रम होता है 
उसके भीतर भी एक बंद मुट्ठी होती हैं 
बाजार इंद्रधनुष्य के रंगों का विज्ञापन छाप रहा है 
और सूरज के रोशनी को डिब्बे में 
भरकर बेचने का भ्रम पैदा कर रहा है

और ऐसे समय में यदि मुझे अपने होने को बचाये रखना है
तो कछुए के पैरों से भुमि को नापना होगा
किनारे पर खड़े होकर अब बाजार का रुख़ समझना होगा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सपनो का मर जाना

सपनों का मर जाना वाकई बहुत खतरनाक होता है  वह भी ऐसे समय में  जब बडे़ मुश्किल से  तितली संभाल रही हैं  अपने रंगों का साम्राज्य निर्माण हो रहा है मुश्किल  से गर्भ में शिशु  और जद्दोजहद करके  नदी बना रही हैं  अपना रास्ता  बहुत कठिनाइयों से  वृक्ष बचा रहे हैं अपनी उम्र कुल्हाड़ियों के मालिकों से  वाकई समय बहुत खतरनाक हैं  जब केंचुए के पीठ पर  दांत उग रहे हैं  और ऐसे समय में  सपनों का मर जाना  समस्त सृष्टि का कालांतर में  धीरे-धीरे अपाहिज हो जाना है

धर्म बनिए का तराजू बन गया है

सबके पास धर्म के नाम पर  हाथों में उस बनिये का तराजू हैं  जो अपने अनुसार तौलता  है  धर्म के असली दस्तावेज तो  उसी दिन अपनी जगह से खिसक गए थे जिस दिन स्वार्थ को अपना धर्म  बेईमानी को अपना कर्म  चालाकी को अपना कौशल समझकर इंसानियत के खाते में दर्ज किया था

एक थी कावेरी

               पागल से अस्त-व्यस्त बालों वाली कावेरी बचपन से जवानी तक और उसके आगे भी बोझ होने का बोझ उठाते रही । निसंतान चाची के पास छोड़ दिया तो बचपन उस धरती पर  गुजरा कावेरी का  जिस धरती पर कभी बीज अंकुरित नहीं हुआ था । चाची से तो ममता नहीं मिली पर हां जीवन का गणित जरूर सीख लिया । जिस दिन डांट पड़ती उस दिन उसके बाल नहीं बनते और नन्हे हाथों से कावेरी अपने बाल सवारती  स्कुल पहुंचने में देरी होती अगर गणित के अध्यापक कक्षा में होते तो खूब धुलाई होती । वैसे भी कावेरी को गणित और गणित का मास्टर दोनों यमराज से लगते ।  जबरदस्ती पहले बैंच पर बिठाया जाता और जिस दिन बोर्ड के तरफ उसकी सवारी गणित के अध्यापक  कक्षा में निकालते उस दिन बच्चे खूब हंसते और शर्म से गडी गडी कावेरी बगीजे के आम के नीचे बैठकर खूब रोती वो सीखना चाहती थी पर सिखाएगा कौन यह सवाल था ।              बस्ती की लड़कियां भी कावेरी से चिकनी चुपड़ी बातें करके अपना काम निकलवा लेती कभी कावेरी से कलसी में पानी भर कर लिया जाता तो कभी आंगन में गोबर लिपकर लिया जाता बस कावेरी को किसी ना किसी का साथ चाहिए होता खूब हुड़दंग मचाती बस्ती में लड़क