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प्रेम बचा रहता है

एक समय के बाद 
सब कुछ खत्म करने की 
जिद्द करता है मन 
चाहे वो रिश्ता कितना भी 
खास क्यों ना हो 

पर लाख कोशिशों के 
बावजूद बचा रहता है 
उस प्रथम मुलाकात में 
हथेलियों के बेजान रेखाओं
के बीच बचा तुम्हारा स्पर्श

मानों अंतिम रोटी पकने के बाद 
बची रहती हैं चुल्हे के देह पर 
उस रोटी की महक 

जैसे समंदर में जाल में फंसी मछली का 
अंतिम आंसू बहता रहता है 
कहीं-कहीं दिनों तक समंदर के सिने पर

जैसे बीज प्रस्तर पर गिरने के बाद भी 
बची रहती हैं अंकुरित होने की संभावनाएँ

पर स्विकार और अस्वीकार के बीच 
बार-बार गुम होती तुम्हारी इस भाषा से
मेरे मन के माथे पर सिलवटें पड़ गई है 
और यह लौटना चाहता है अपने एकांत में 

पर तुम बचे रहोगे मेरे बालकनी में स्थित 
चांद और तुलसी की दूरियों के बीच 

तुम बचे रहोगे मेरे शहर के ग्रंथालय के
उन अलमारियों में जहांँ से पढ़ी थी 
मैंने कविताएंँ विस्थापन के दर्द की 

रोज सुबह  मेरी अलमारी में 
साड़ी की जगह खाली देख 
मुझे याद आएगा लाल रंग 
हर किसी के हिस्से नहीं आता है कभी..   

टिप्पणियाँ

  1. रोज सुबह मेरी अलमारी में
    साड़ी की जगह खाली देख
    मुझे याद आएगा लाल रंग
    हर किसी के हिस्से नहीं आता है कभी..

    अप्रितम और पावन प्रेम को समर्पित कविता की प्रशंसा के लिए शब्द बोने पड़ते हैं
    वाह अंतस की घराई को नापती पंक्तितियों को सल्यूट

    जवाब देंहटाएं
  2. एक समय के बाद...
    कुछ भी हो सकता है
    गहन चिंतन
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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रिश्ते

अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है , और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है | हम रिश्तें को  किसी खाने के पेकट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं | या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है | वैसे ही हम कही बार रिश्तें को डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं , जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है | ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय और तकलीफ ही आती है | माना की इस तेज रफ्तार जीवन की शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं  

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