उस औरत ने दूर से देखा
एक खूबसूरत पहाड़ कामयाबी का
और दुनिया ने अंदाजा लगाया
उसके साथ चलने वाले पुरुष का
उस औरत ने देर रात तक
शहरों की सडकें नापी
और दुनिया ने सुबह के अखबारों में
उसके बदचलन रातों का हिसाब लगाया
उस औरत ने पितृसत्ता पर
अधिकार की बात की तो पराए धन का
जंग लगा झुनझुना पकड़ा कर
उसे अपने ही जमीन से बेदखल किया गया
उस औरत ने अब औरत नहीं
अपनी जिव्हा को मनुष्य
होने की भाषा की तालीम दी
और अपने हाथों पर भिक्षुणी के नहीं
अधिकार की रेखा को चिन्हित किया
सुंदर कविता
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