सपनों का मर जाना वाकई बहुत खतरनाक होता है वह भी ऐसे समय में जब बडे़ मुश्किल से तितली संभाल रही हैं अपने रंगों का साम्राज्य निर्माण हो रहा है मुश्किल से गर्भ में शिशु और जद्दोजहद करके नदी बना रही हैं अपना रास्ता बहुत कठिनाइयों से वृक्ष बचा रहे हैं अपनी उम्र कुल्हाड़ियों के मालिकों से वाकई समय बहुत खतरनाक हैं जब केंचुए के पीठ पर दांत उग रहे हैं और ऐसे समय में सपनों का मर जाना समस्त सृष्टि का कालांतर में धीरे-धीरे अपाहिज हो जाना है
युद्ध के ऐलान पर किया जा रहा था शहरों को खाली लादा जा रहा था बारूद तब एक औरत दाल चावल और आटे को नमक के बिना* बोरियों में बाँध रही थी उसे मालूम था आने वाले दिनों में बहता हुआ आएगा नमक और गिर जाएगा खाली तश्तरी में वह नहीं भूली अपने बेटे के पीठ पर सभ्यता की राह दिखाने वाली बक्से को लादना पर उसने इतिहास की किताब निकाल रख दी अपने घर के खिड़की पर एक बोतल पानी के साथ क्योंकि, यह वक्त पानी के सूख जाने का है..!
सबके पास धर्म के नाम पर हाथों में उस बनिये का तराजू हैं जो अपने अनुसार तौलता है धर्म के असली दस्तावेज तो उसी दिन अपनी जगह से खिसक गए थे जिस दिन स्वार्थ को अपना धर्म बेईमानी को अपना कर्म चालाकी को अपना कौशल समझकर इंसानियत के खाते में दर्ज किया था
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार 21 जनवरी 2023 को 'प्रतिकार फिर भी कर रही हूँ झूठ के प्रहार का' (चर्चा अंक 4636) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
धन्यवाद
हटाएंसच! ऐसा ही होता है। स्त्री विमर्श पर सराहनीय कृति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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