1.
धीरे-धीरे घर के भीतर के रिश्ते
स्टेशन की भीड़ में तबदील हो रहे हैं
एक दूसरे से कटे कटे
अपना अपना समय संभालते हैं
बटवें के घरों में
एकांत में खलल पड़ने पर
चीखते चिल्लाते दीवारें खड़ी कर देते हैं
और कुछ इस तरह से
धीरे-धीरे घर के भीतर अनेक घर बसते जा रहे हैं
2.
उठते हुये नारों की आवाजें को
उतने ही सलीके से तबाया जाता है
जितने सलीके से
पांच सौ का नोट किसी
गरीब के खीसें में
चुनावी मौसमों के दौरान
3.
उसने कहा
तुम बोलती बहुत खूबसूरत हो
तुम्हारी आवाज
बहुत सुंदर है
मैंने कहा तुम सुनते बहुत ईमानदारी से हो
4.
मुखौटे के इस बाजार में
न जाने कितनी ही संवेदनाएं
आहत होती है हर रोज
दफ्न होता जा रहा है
चेहरों का संसार
बड़ता जा रहा है
मुखौटे का कारोबार
अच्छी कविताएं।
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