मेरे घर की खिड़की भी
उन्हीं खिड़कियों में शामिल हैं
जो अन्य घरों में लगी हैं
पर मेरे घर की खिड़की के बाहर
एक जंगल उगा है
क्यों कि मेरे घर में मर्दों के
पदचाप कि ध्वनि नहीं सुनाई देती हैं
और यह दुनिया की नज़रों में गुनाह है
पर मेरे लिए मैंने किया हुआ बेहतरीन फैसला है
अगर प्रेम का मतलब इतना भर होता एक दूसरे से अनगिनत संवादों को समय की पीठ पर उतारते रहना वादों के महानगर खड़ें करना एक दूसरे के बगैर न रहकर हर प्रहर का बंद दरवाजा खोल देना अगर प्रेम की सीमा इतनी भर होती तो कबका तुम्हें मैं भुला देती पर प्रेम मेरे लिए आत्मा पर गिरवाई वो लकीर है जो मेरे अंतिम यात्रा तक रहेगी और दाह की भूमि तक आकर मेरे देह के साथ मिट जायेगी और हवा के तरंगों पर सवार हो आसमानी बादल बनकर किसी तुलसी के हृदय में बूंद बन समा जाएगी तुम्हारा प्रेम मेरे लिए आत्मा पर गिरवाई वो लकीर है जो पुनः पुनः जन्म लेगी
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