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क्षणिकाएँ

1.

टूट कर बिखरना 
और फिर फिर जुड़ना 
इस सिलसिले में 
प्रेम के निशान से अधिक 
टूटे ह्रदय में
जख्मों के निशान 
बढ़ रहे थे और 
बढ़ते ही जा रहे हैं

2.
जो मन के 
एहसासों को 
नहीं समझता है
उसे शब्दों की 
भाषा में समझाना 
व्यर्थ हैं 

3.
जिन्हें आदत होती हैं 
जख्मों पर नए 
जख्म रखने की 
उन्हें पुराने जख्मों की 
गाथा सुनाना व्यर्थ हैं



टिप्पणियाँ

  1. जिन्हें आदत होती हैं
    जख्मों पर नए
    जख्म रखने की
    उन्हें पुराने जख्मों की
    गाथा सुनाना व्यर्थ हैं
    बहुत खूब,🙏

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