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बेटियाँ

बेटियों के जनने की खबरें 
पहुंचाई जाती रही अब तक 
मायुसी के कागज में लपेटकर 
किसी मातम की तरह

और जनने के तुरंत बाद 
किया गया मरने इंतजार 
या फिर मिटाने का इंतजाम 

पर इन जिद्दी बेटियों ने 
ना छोडी सांसे 
ना कदमों की गति

जब गाय की तरह 
खुटीं बदलने की बारी आई 
तो ये बेटियाँ 
निकली अपने बाबा के घर से 

बांधकर कुछ बीज 
या फिर लेकर कुछ ज्ञान

रोप दिये बीज उग आया
धान पक गया मीठा चावल 
धरती मुस्कुराए 

अक्षरों को उड़ेला चहुँ ओर
और मुस्कुराया उजाल

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 11 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. अक्षरों को उड़ेला चहुँ ओर
    और मुस्कुराया उजाल
    –सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत खूबसूरत रचना ।।पहले भी टिप्पणी की थी ...... अभी दिख नहीं रही म

    जवाब देंहटाएं

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रिश्ते

अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है , और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है | हम रिश्तें को  किसी खाने के पेकट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं | या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है | वैसे ही हम कही बार रिश्तें को डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं , जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है | ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय और तकलीफ ही आती है | माना की इस तेज रफ्तार जीवन की शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं  

क्षणिकाएँ

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घर की नींव बचाने के लिए  स्त्री और पुरुष दोनों जरूरी है  दोनों जितने जरूरी नहीं है  उतने जरूरी भी है  पर दोनों में से एक के भी ना होने से बची रहती हैं  घर की नीव दीवारों के साथ  पर जितना जरूरी नहीं है  उतना जरुरी भी हैं  दो लोगों का एक साथ होना