जिसने गर्भनाल से
जुड़े रिश्ते की क्रूरता
सहन की हो वह अब
अन्य रिश्तो की बेईमानी
और मतलबी होने का
अफसोस नहीं मनाती है
देह में बहता रक्त भी
जिसे बोझ सा लगने लगता है
वो मृत्यु का डर नहीं करता है
देह पर लगे फल को ही
एक बेल का असमानता की
दृष्टि से देखना जिस दिन
उसने देखा उस दिन से
ममता की परिभाषा ही
उसने बदल कर रख दी है
वाह!बहुत बढ़िया सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर