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यह समय नहीं है

अभी मुझे बहुत दूर तक जाना है 
इसी प्रक्रिया में अनदेखे हो सकते हैं 
मेरी आंखों से कुछ रंग फूलों के
कुछ रंग तितलियों के

पर यह समय नहीं है 
मेरे मन को खुबसूरत परिवेश 
मे जीने के लिए छोड़ देने का
 मैंने नहीं तय किया है 
अभी तक आधा रास्ता भी 
उस अन्याय के खिलाफ 

जहां मौजूद हैं चीखे 
रेगिस्तान के रेत में दफन बच्चियों की 
प्रसव के दौरान मरे हुए स्त्रियों की 
हाथों से किताबों को उतारकर 
चढ़ाई गई मेहंदी की

मन का गणित जो बिगड़ गया हैं 
अब तक और भविष्य में 
संभावनाओं के नाम पर मौजूद हैं
 सरकारी दस्तावेजों पर केवल
 कुछ हस्ताक्षर ही 
ऐसे समय में देह के गणित का
मैं कहां तक सोच सकती हूं ?

टिप्पणियाँ

  1. वाह!गज़ब लिखा सराहनीय सृजन।
    जहां मौजूद हैं चीखे
    रेगिस्तान के रेत में दफन बच्चियों की
    प्रसव के दौरान मरे हुए स्त्रियों की
    हाथों से किताबों को उतारकर
    चढ़ाई गई मेहंदी की... हृदय को छूते भाव।

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