अपने इर्द-गिर्द मौजूद रखो
हमेशा कुछ खिड़कियां
ताकि हवा रोशनी और पानी
बना रहे जीवन में
कुछ दरवाजे भी खुले छोड़ दो
किसी पता कब कौन सा रास्ता
मंजिल का आकर
तुम्हारे कदमों से टकराए
कुछ संभावनाओं की नमी
भी हाथों की लकीरों में
पनपती रहने दो
ताकि असंभव के गर्त में
समाऐ कहानियों को
पंख लगे और निकल आए
कुछ नई संभावनाएं
निराशा की टोकरी में रख छोड़े
कुछ कड़वे फलों को
थोड़ा अनुभव और समय की
आंच में पकने दो
किसी पता उम्मीदों के फल
पुन्हा जीवन की टोकरी
से निकल आए
संभावनाओं की खेती
बची रहे जीवन में
ताकि बची रहे
जीवन जीने की जिजिविषा
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