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जिम्मेदारी

सुबह अक्सर जल्दी जगा देती है
और पैरों को जिम्मेदारी से
लेप देती है

तब अनगिनत तलवें आधी 
निदं से उठकर
पृथ्वी के सबसे
जटिल रास्ते के
सफर पर निकल पड़ते हैं

और ये सब लोग
एक सिक्के के लिए
पाषाण 
आधी रोटी के लिए
पूरा समंदर
और एक छत के लिए
सारे आसमान पर 
अपने तलवे की
चमड़ी बेच आते हैं

टिप्पणियाँ

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-04-2022) को चर्चा मंच      "अब गर्मी पर चढ़ी जवानी"   (चर्चा अंक 4413)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    --

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