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चंद छोटी कविताएं

1.
हमेशा एक दरवाजा 
खुला रखना उन बेटियों के लिए 
जो कुए की तरफ मुड़ने के पूर्व 
मुड़ जाए उस घर की तरफ 
जहां दीवारों ने सहेज रखी हैं 
उनकी पहली किलकारी ।

2.

कुछ बिखराव समेटने के लिए
नहीं होते हैं ! ठीक उसी तरह
जहाज  डूबने के पच्छात
गहरे पानी में सालों साल
नमक के परतों तले 
बेजुबान पड़ा रहता है
कुछ बिखराव समेटने के लिए
नहीं होते हैं बस आंखों की
जमीन पर नमक की खेती
उगाते रहते हैं ‌।

3.
एक वृक्ष की देह जलाते समय
हम भूल जाते हैं 
उसके दिये सांसों का हिसाब
ठीक उसी तरह
एक स्त्री को
तकलीफों के बीच 
अकेला छोड़कर जब कोई 
अहसान फरामोशी कर जाता है
तब वो भूल जाता है
सृष्टि के निर्माण के लिए
उमड़ा उसके छाती का दूध ।

4.
हमने अमृत से सींचा
पर वह डसना नहीं भूले 
आज के जनजाति के 
सांप थे वे 
उनकी  सभ्यता के 
मायने अलग जो थे ।










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