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सुनो ना

सुनो ना

सुनो ना
तुम्ह बनो कवि
मै बनूँ तुम्हारी कविता
तुम्हारे मन से
बरस पडूँ छन छन
लफ़्ज़ों की नदियों में
उकेर दो तुम मुझमें
एक प्रेमिका

बन जाये 
एक सिलसिला प्यार का
समा जाऊं तुम्हारे कण कण मे
बाँध दूं तुम्हारी चचंल गति
मर्यादा में
बन जाऊं तुम्हारी सीता
तुम बनो मेरे राम

उस कविता मे भर दो तुम
कुछ रंग गुलाबी
मै बह जाऊं उसमें
निर्झर बनके सरिता
जीवन की अँधयारे गलियों मे
जला दो एक दिया प्रेम का

थमा दो मेरे हाथ में
एक टोकरी सुख की
जिसमें कुछ रंग हो
सजा दूं मै एक चित्र
अगले जनम का
जिसमें तुम रूक जाना
अगले कई जन्मों तक

भरूँ मैं अपने पंखो में उडान
आऊं मै तेरे धाम 
बाँध लू तुम्हे
मै अपने केशों में
जैसे बँधा होता है
निर्मल जल मेघ में

निहारता है चाँद तुलसी को
निरतंर
तुम बनो चाँद
मै बनूँ तुम्हारी तुलसी
उत्सव नही है ये
एक दिन का
युगों युगों का साथ है
चाँद तुलसी का

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