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तुम्हारे आने से

तुम्हारे आने से 
नदी किनारे बैठा 
बूढा पिंपल फिर से 
अपने पत्तों संग
शहनाई बजाएगा 

तुम्हारे आने से 
काली नदी में स्थित 
मछलियां तुम्हारे स्वागत 
के लिए नृत्य करते-करते 
पानी के बाहर उछलेगी

तुम्हारे आने से 
मेरी राह पर
पड़ने वाले मंदिर की 
घंटियां बज उठेगी 
तुम्हारे आने से देवी मां 
के समक्ष दीये  की 
थाल पुन: सजेगी

तुम्हारे आने से विरहा 
में जलती तुलसी के 
माथे सिंदूर चढ़ जाएगा 
जल अर्पण होगा 
तुम्हारे आने से 
तुलसी पुनः मुस्कुराएंगी

टिप्पणियाँ

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 फरवरी 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (16-02-2022) को चर्चा मंच      "भँवरा शराबी हो गया"    (चर्चा अंक-4343)      पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही खूबसूरत!
    तुम्हारे आने से वाकई जिंदगी बहुत ही खूबसूरत होगी एकदम बसंत की तरह.. 😊

    जवाब देंहटाएं
  4. कोमल श्रृंगार भाव मन को छूते से।
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं

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