तुम्हारे इंतज़ार में लिखना चाहती हूँ
युद्ध के दस्तावेजों पर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
जिससे मिट जायेगी युद्धों की तारीखें
पिघल जायेगा औजारों का लोहा
लहरायेगा हवा संघ शांति का परचम
इंगित होगा जिसपर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
तुम्हारे इन्तजार में मैं लिखना चाहती हुं
रेगिस्तान की पीठ पर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
जिससे पिघलेंगे विरह के बादल
तपती रेत से निकलेगी एक नदी
हो जायेगी तृप्त हर गगरी की देह
गोद दूंगी पानी के ह्रदय में मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
तुम्हारे इन्तजार में मैं लिखना चाहती हुं
मिट्टी में धंसे पंगड़डियों पर मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
और वहां बैठ मैं गुनगुनाना चाहती हूं
एक गीत वर्षा के आगमन का
निराश किसानों की पुतलियां अंकुरित कर
धान की पातियो पर अंकित करुंगी मेरा प्रेम तुम्हारे लिए
इंतजार मिटा दे युद्ध की आशंका और बो दे हर मन के खेत में हरियाली.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंप्रेम के गीतों में मिट्टी की सोंधि महक न हो तो शुष्क हो जाता है प्रेम .।।
जवाब देंहटाएंहर लम्हा प्रेम में साथ कुछ कहानी कहत हुआ .।।
धन्यवाद आदरणीय
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