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तुम्हारा इंतजार


मै कर रही हूँ तुम्हारा इंतजार
चाँद के गलने से लेकर
सूरज के ढलने तक
बंसत कि हर नयी पत्तियों  पर
लिख देती हूं तुमे चिट्ठियाँ
पत्ते झड़े अनगिनत मौसम बीते
अब मेरे शहर के हर वृक्ष
के तले
उग रही हैं तुमारे नाम कि दूब
पहुँचा रही हैं हवा संग
तुम्हें आने का संदेश
काली नदी के तट बैठकर
मैने बहाया हैं आँखों का काजल
अब तो नदी का भी सीना
भर गया है काले रंग से
मछलियाँ बैठती है मेरे पास आकर
और मूँद लेती आँखें
मानो कर रही हैं प्रार्थनाऍ
उस ईश से तुम्हारे लौटने की
मैने तो भरे थे इस रिश्ते मे रंग
प्रेम और सर्मपण के
बेखबर सी थी मैं
तुम्हारे मुट्ठी में बंद रंगो से
तरसती है मेरे मकान की दहलीज
तुम्हारे  तलवे के स्पर्श को
फिर घर बन इठलाने को
मंदिर के दिये तले है जमीं
मिन्नतों की ढेर सारी मन्नतें
तुम्हारा आना कुछ इस तरह से होगा
जैसे घने बीहड़  में शहनाई का बजना
किसी चंचल लड़की  के माथे
सिदूंर का सजना

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