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तुम्हें मैं खोजती हूँ कँटीले पर्वत पर
नहीं मिलते तुम मखमली गलियारों पर
तुम्हारे पैरों के छाले अक्सर बताते हैं
पहाडों बियाबानों का पता
नहीं मिलते हो तुम तालाबों झरनों के पास
तुम अक्सर दौडते हो रणभूमि के पास
कराह रहे हैं जहाँ कहीं कहीं सांसें
चाँद कि गोलायियों को नहीं नापते
तुम मेरे चेहरे की खूबसूरती से
ढूँढते हो तुम उसमें रोटी की विवशता को
और फिर पाती हूँ तुम्हें
मंदिर मस्जिद गिरजाघरों की सीढ़ियों पर
जहाँ दंतुरी मुस्कान भूख सह रही है पीढ़ियों से
जाकर खडी होती हूँ मै प्रथम मुलाकात के मोड पे
पर वहाँ नही पाती हूँ मैं तुझे
तुम होते हो किसी बुढी माँ के ओसारे पर
जहाँ सूरज कि प्रथम किरण से चाँद की शितलता तक
इन्तजार में रिस रही है बुढी आँखे
इन्हीं सबसे तुम्हें प्रेम है और तुम्हारे सब से मुझे प्रेम है ....

कावेरी

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सपनो का मर जाना

सपनों का मर जाना वाकई बहुत खतरनाक होता है  वह भी ऐसे समय में  जब बडे़ मुश्किल से  तितली संभाल रही हैं  अपने रंगों का साम्राज्य निर्माण हो रहा है मुश्किल  से गर्भ में शिशु  और जद्दोजहद करके  नदी बना रही हैं  अपना रास्ता  बहुत कठिनाइयों से  वृक्ष बचा रहे हैं अपनी उम्र कुल्हाड़ियों के मालिकों से  वाकई समय बहुत खतरनाक हैं  जब केंचुए के पीठ पर  दांत उग रहे हैं  और ऐसे समय में  सपनों का मर जाना  समस्त सृष्टि का कालांतर में  धीरे-धीरे अपाहिज हो जाना है

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एक थी कावेरी

               पागल से अस्त-व्यस्त बालों वाली कावेरी बचपन से जवानी तक और उसके आगे भी बोझ होने का बोझ उठाते रही । निसंतान चाची के पास छोड़ दिया तो बचपन उस धरती पर  गुजरा कावेरी का  जिस धरती पर कभी बीज अंकुरित नहीं हुआ था । चाची से तो ममता नहीं मिली पर हां जीवन का गणित जरूर सीख लिया । जिस दिन डांट पड़ती उस दिन उसके बाल नहीं बनते और नन्हे हाथों से कावेरी अपने बाल सवारती  स्कुल पहुंचने में देरी होती अगर गणित के अध्यापक कक्षा में होते तो खूब धुलाई होती । वैसे भी कावेरी को गणित और गणित का मास्टर दोनों यमराज से लगते ।  जबरदस्ती पहले बैंच पर बिठाया जाता और जिस दिन बोर्ड के तरफ उसकी सवारी गणित के अध्यापक  कक्षा में निकालते उस दिन बच्चे खूब हंसते और शर्म से गडी गडी कावेरी बगीजे के आम के नीचे बैठकर खूब रोती वो सीखना चाहती थी पर सिखाएगा कौन यह सवाल था ।              बस्ती की लड़कियां भी कावेरी से चिकनी चुपड़ी बातें करके अपना काम निकलवा लेती कभी कावेरी से कलसी में पानी भर कर लिया जाता तो कभी आंगन में गोबर लिपकर लिया जाता बस कावेरी को किसी ना किसी का साथ चाहिए होता खूब हुड़दंग मचाती बस्ती में लड़क