स्त्रियाँ चखी जाती हैं
किसी व्यंजन की तरह
उन्हें उछाला जाता है
हवा में किसी सिक्के की तरह
उन्हें परखा जाता है
किसी वस्तु की तरह
उन्हें आजमाया जाता है
किसी जडीबुटी की तरह
उन्हें बसाया जाता है
किसी शहर की तरह
और खाली हाथ लौटया जाता है
किसी भिक्षूणी की तरह
पर आने वाली संभावनाओं की
बारिश में उगेंगे कुछ ऐसी स्रियाँ
जो हवा में उछाले सिक्के को
अपने हथेलियों पर धरकर
मन के अनुसार उस सिक्के का
हिसाब तय करेगी
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 14 अगस्त 2024को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंयथार्थ
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