कुर्सी
कुछ लोग कुर्सी के उपर बैठे हैं
कुछ लोग कुर्सी से नीचे बैठे हैं
कुछ लोगों ने कुर्सी को घेर रखा है
कुछ लोग उंचककर बस कुर्सी को ताक रहे हैं
और एक भीड़ ऐसी भी है
जिसने कभी कुर्सी को देखा ही नहीं है
पर कुर्सी के ढांचे में गड़ी जो कील है
वो इसी भीड़ के पसीने का लोहा है
देखना है भीड़ कुर्सी को कब देखेगी
जब कुर्सी से कील अलग हो जाएगी
या जब इस कुर्सी पे बैठे व्यक्ति का जमीर जाग जायेगा
कुछ लोग कुर्सी के उपर बैठे हैं
कुछ लोग कुर्सी से नीचे बैठे हैं
कुछ लोगों ने कुर्सी को घेर रखा है
कुछ लोग उंचककर बस कुर्सी को ताक रहे हैं
और एक भीड़ ऐसी भी है
जिसने कभी कुर्सी को देखा ही नहीं है
पर कुर्सी के ढांचे में गड़ी जो कील है
वो इसी भीड़ के पसीने का लोहा है
देखना है भीड़ कुर्सी को कब देखेगी
जब कुर्सी से कील अलग हो जाएगी
या जब इस कुर्सी पे बैठे व्यक्ति का जमीर जाग जायेगा
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