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संदेश

संवाद से समाधि तक

तुम चले गए हो और मेरे पास जो बचा है वो केवल गुजरे समय की एक समाधि है जिस पर रोज सुबह फुल विश्राम करते हैं और रात में अंतिम निद्रा में लीन हो जाते हैं और मेरे आंखों के जलाशय में रक्त वर्णी फुल फिर जन्म लेते हैं फिर मुरझा जाते हैं और कुछ इस तरह मेरा प्रेम संवाद से समाधि तक के महाप्रस्थान की ओर बढ़ रहा है
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तना हुआ वृक्ष

तुम देख रही हो ना नदी के तट पर नारियल के तने हुए वृक्ष असंख्य वे खड़े रहते हैं नदी के लिए हर अच्छे-बुरे मौसम में होना चाहता हूं मैं भी नारियल का वह वृक्ष खड़ा /झूमता /तना हुआ तुम्हारे लिए जीवन के सभी मौसम में तुम बनो नदी म ैं  बनूं नारियल का वृक्ष झूमता हुआ / तना  हुआ २३/०१/२०१७

अलगाव

अलगाव ये शब्द  एक अरसे से चल रहा है  मेरे साथ  यदाकदा आंखों से  बहता ही रहता है  आज सोचती हूंँ  इतनी बार ये शब्द  मेरी आंसुओं में बहा है  फिर भी इसका अस्तित्व  क्यों नहीं मिट रहा है ? हर रिश्ते में ये शब्द  इतनी शिद्दत के साथ  क्यों अपनी जगह बन जाता है शायद जिस दिन मैं  पूर्ण रूप से  टूट वृक्ष बन मिट्टी से उखड़ कर  मिटने की प्रार्थना करूंगी  उस ईश से उस  दिन ये  मेरे साथ ही दफ़न होगा  जब सांसें छोड़ देगी देह का साथ उस दिन मैं बिदा हो जाऊगी अंतिम इच्छा के साथ उम्रभर जीया जिन जिन  अपनों से अलगाव का दुख उनके आंखों से एक भी आंसू न बहे मेरे अलगाव में...  मृत्यु संवाद नहीं करती है

हत्यारे

हम मरते नहीं  मारे जाते हैं  सिद्धांत से खाली समय  और अवसरवादी भीड़ के हाथों तुम्हें क्या लगता है  मनुष्य आत्महत्या करता है  नहीं, ये शब्द केवल म्यान है  हत्या के ऊपर चढ़ाई हुई ।

औरत की जात बिकाऊ नहीं है

किसी औरत का प्रेम  दिहाड़ी समझकर  मत भोगना सामने से गुजरती हर औरत को देख तुम्हारी ये जो जुबान मोल-भाव की भाषा पर उतर आती है ना वेश्यावृत्ति एक धंधा है  औरत की जात बिकाऊ नहीं होती है  । 

औरत

वो औरत थी उसकी वो जब चाहता अपनी मर्ज़ी से उसे अलगनी पर से उतारता इस्तेमाल करता और फिर वही ऱख देता  फिर आता फिर जाता जितनी बार उसे उतारा जाता उसके शरिर मे एक नस टूट जाती चमड़ी से कुछ लहू नजर आता जितनी बार उसे उतारा जाता उसके नाखुनों से भूमि कुरेदी जाती हर कुरदन जन्म देती एक सवाल  उसके आँखो का खा़रापानी जम जाता उसके घाव पे उसके लड़ख़डा़ते पैर रक्तरंजित मन उसकी लाचारी उसकी बेबसी उन्ह तमाम पुरूषो के लिये एक प्रश्न छोड़ जाती है औरत केवल देह मात्र है  ?