तुम चले गए हो और मेरे पास जो बचा है वो केवल गुजरे समय की एक समाधि है जिस पर रोज सुबह फुल विश्राम करते हैं और रात में अंतिम निद्रा में लीन हो जाते हैं और मेरे आंखों के जलाशय में रक्त वर्णी फुल फिर जन्म लेते हैं फिर मुरझा जाते हैं और कुछ इस तरह मेरा प्रेम संवाद से समाधि तक के महाप्रस्थान की ओर बढ़ रहा है
तुम देख रही हो ना नदी के तट पर नारियल के तने हुए वृक्ष असंख्य वे खड़े रहते हैं नदी के लिए हर अच्छे-बुरे मौसम में होना चाहता हूं मैं भी नारियल का वह वृक्ष खड़ा /झूमता /तना हुआ तुम्हारे लिए जीवन के सभी मौसम में तुम बनो नदी म ैं बनूं नारियल का वृक्ष झूमता हुआ / तना हुआ २३/०१/२०१७