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तना हुआ वृक्ष

तुम देख रही हो ना नदी के तट पर नारियल के तने हुए वृक्ष असंख्य वे खड़े रहते हैं नदी के लिए हर अच्छे-बुरे मौसम में होना चाहता हूं मैं भी नारियल का वह वृक्ष खड़ा /झूमता /तना हुआ तुम्हारे लिए जीवन के सभी मौसम में तुम बनो नदी म ैं  बनूं नारियल का वृक्ष झूमता हुआ / तना  हुआ २३/०१/२०१७

अलगाव

अलगाव ये शब्द  एक अरसे से चल रहा है  मेरे साथ  यदाकदा आंखों से  बहता ही रहता है  आज सोचती हूंँ  इतनी बार ये शब्द  मेरी आंसुओं में बहा है  फिर भी इसका अस्तित्व  क्यों नहीं मिट रहा है ? हर रिश्ते में ये शब्द  इतनी शिद्दत के साथ  क्यों अपनी जगह बन जाता है शायद जिस दिन मैं  पूर्ण रूप से  टूट वृक्ष बन मिट्टी से उखड़ कर  मिटने की प्रार्थना करूंगी  उस ईश से उस  दिन ये  मेरे साथ ही दफ़न होगा  जब सांसें छोड़ देगी देह का साथ उस दिन मैं बिदा हो जाऊगी अंतिम इच्छा के साथ उम्रभर जीया जिन जिन  अपनों से अलगाव का दुख उनके आंखों से एक भी आंसू न बहे मेरे अलगाव में...  मृत्यु संवाद नहीं करती है