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श्रधांजलि



एक दिन हम गुम हो जायेंगे धरा से
आप के कॉन्टैक्ट लिस्ट 
में पडा़ नबर हमारा
बिना मोल के सिक्के जैसा
पडा़ रहेगा

गुलाबी साड़ी में तुम्हारे
आंगन में चढ़े मधुमालती के
बेल पर प्रवासी चिड़िया की तरह
कभी न लौटने के लिए
आकर आंखें मुदे 
बेठ जावुगी और एक दिन
जब पक जायेंगे तुम्हारे बाल
धिरे धिरे चिड़िया भी
त्याग देगी अपने पंख

एक दिन इमोजी वाला गुस्सा
हमेशा टपक  पड़ता था
आप के इनबॉक्स में
वो धिरे धिरे निस्तेज
पडा़ फूल की तरह मुरझा जायेगा
और मेरे साथ मिट्टी हो जायेगा

नारयल के पेड़ों ने भी
सुनी है मेरी सिसकियां
रात रात भर जगा है वो मेरे साथ
मेरे मरने के उपरांत
तुम एक दिन जाना उसके पास
और सुनना मैंने जीया विरह

मेरे प्रदेश के समंदर में
तैरती मछलियों के पुतलियों ने
धरा है मेरी आंखों का काजल
और काली नदी ने
पिये है मेरे आंसू
तुम आना और बैठना
नदी के पास और
उतार लेना अपने मन में
इस कावेरी कि विफल प्रेम गाथा
और भरना अपनी कलम में स्नाह्यी
और देना मुझे उपन्यास की
एक श्रध्दांजलि





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रिश्ते

अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है , और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है | हम रिश्तें को  किसी खाने के पेकट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं | या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है | वैसे ही हम कही बार रिश्तें को डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं , जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है | ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय और तकलीफ ही आती है | माना की इस तेज रफ्तार जीवन की शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं  

क्षणिकाएँ

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जरूरी नही है

घर की नींव बचाने के लिए  स्त्री और पुरुष दोनों जरूरी है  दोनों जितने जरूरी नहीं है  उतने जरूरी भी है  पर दोनों में से एक के भी ना होने से बची रहती हैं  घर की नीव दीवारों के साथ  पर जितना जरूरी नहीं है  उतना जरुरी भी हैं  दो लोगों का एक साथ होना