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मार्च, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
इम्तहान लेती है जिन्दगी जीवन से मृत्यू तक के सफर में पर्चे भर देते हैं हम उम्मीदों के स्याही से ओढकर कल्पनाओं के पंख हो जाते है हम खड़े संघर्ष के पर्वतों के नीचे पाना होता है हमें चोटी पर खिला हुआ ईच्छारूपी पुष्प इम्तहानों के दौर में रोपने होते है हमें शिला रूपी धरा के अतंस तले बीज भविष्य रूपी तरू का फलो के हर्ष का उत्साह मनाया ही कब हमने चींटी के कतार सम प्रश्न उत्तर की तलाश मे हम यूँ इम्तहानों के दौंड मे शामिल होते हैं हम तुम। कावेरी
सियासत गुलामी मे उतना ही बोला जाता हैं जितना नेता को भाता हैं बाकी शब्दों को जेब के अंदर जबरन ठूसा जाता हैं
तुम्हारा इंतजार मै कर रही हूँ तुम्हारा इंतजार चाँद के गलने से लेकर सूरज के ढलने तक बंसत कि हर नयी पत्तियों  पर लिख देती हूं तुमे चिट्ठियाँ पत्ते झड़े अनगिनत मौसम बीते अब मेरे शहर के हर वृक्ष के तले उग रही हैं तुमारे नाम कि दूब पहुँचा रही हैं हवा संग तुम्हें आने का संदेश काली नदी के तट बैठकर मैने बहाया हैं आँखों का काजल अब तो नदी का भी सीना भर गया है काले रंग से मछलियाँ बैठती है मेरे पास आकर और मूँद लेती आँखें मानो कर रही हैं प्रार्थनाऍ उस ईश से तुम्हारे लौटने की मैने तो भरे थे इस रिश्ते मे रंग प्रेम और सर्मपण के बेखबर सी थी मैं तुम्हारे मुट्ठी में बंद रंगो से तरसती है मेरे मकान की दहलीज तुम्हारे  तलवे के स्पर्श को फिर घर बन इठलाने को मंदिर के दिये तले है जमीं मिन्नतों की ढेर सारी मन्नतें तुम्हारा आना कुछ इस तरह से होगा जैसे घने बीहड़  में शहनाई का बजना किसी चंचल लड़की  के माथे सिदूंर का सजना