तुम्हारी यादों को
जब भी जीती हूं
मेरी आंखों में एक गांव जीवित हो जाता है
तुम्हारी यादों को जभी जीती हूं
मुझे मेरी होने का
एहसास हो जाता है
तुम्हारी यादों को जब भी जीती हूं
मेरे मेज़ पर पड़ी कलम
कागज़ से लिपटकर खूब रोती है
तुम्हारी याद मेरे साथ
हर क्षण चलती हैं
कभी मेरे पीछे आकर खड़ी होती हैं
तो कभी धूप में छांव बन कर
मेरे साथ चलती हैं तुम्हारी यादें
सुबह की पहली किरण से
रात के अंधियारे में
तकिए पर खूब सीसकती है तुम्हारी यादें
तुम तो चले गए, पीछे यादों का कारवां छोड़ के।
जवाब देंहटाएंहृदय विदारक रचना...
बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति । यादों में बस तुम ही तुम।
जवाब देंहटाएंकुछ यादें ताउम्र साथ चलती हैं...बहुत सुन्दर यादों का पुलिंदा।
जवाब देंहटाएंवाह!!!