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तुम्हारी यादें

तुम्हारी यादों को
जब भी जीती हूं
मेरी आंखों में एक गांव जीवित हो जाता है

तुम्हारी यादों को जभी जीती हूं
मुझे मेरी होने का
एहसास हो जाता है

तुम्हारी यादों को जब भी जीती हूं
मेरे मेज़ पर पड़ी कलम
कागज़ से लिपटकर खूब रोती है

तुम्हारी याद मेरे साथ
हर क्षण चलती हैं
कभी मेरे पीछे आकर खड़ी होती हैं
तो कभी धूप में छांव बन कर
मेरे साथ चलती हैं तुम्हारी यादें

सुबह की पहली किरण से
रात के अंधियारे में
तकिए पर खूब सीसकती है तुम्हारी यादें

टिप्पणियाँ

  1. तुम तो चले गए, पीछे यादों का कारवां छोड़ के।

    हृदय विदारक रचना...

    जवाब देंहटाएं
  2. भावपूर्ण अभिव्यक्ति । यादों में बस तुम ही तुम।

    जवाब देंहटाएं
  3. कुछ यादें ताउम्र साथ चलती हैं...बहुत सुन्दर यादों का पुलिंदा।
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं

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रिश्ते

अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है , और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है | हम रिश्तें को  किसी खाने के पेकट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं | या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है | वैसे ही हम कही बार रिश्तें को डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं , जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है | ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय और तकलीफ ही आती है | माना की इस तेज रफ्तार जीवन की शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं  

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घर की नींव बचाने के लिए  स्त्री और पुरुष दोनों जरूरी है  दोनों जितने जरूरी नहीं है  उतने जरूरी भी है  पर दोनों में से एक के भी ना होने से बची रहती हैं  घर की नीव दीवारों के साथ  पर जितना जरूरी नहीं है  उतना जरुरी भी हैं  दो लोगों का एक साथ होना