मेरे शहर का सिनेमाघर
मुझे नहीं पहचानता है
मैंने कभी नहीं बिताया है समय वहाँ
पर रास्ते से गुजरते समय
मैंने रोज पढ़ी हैं कहानियां
उन चेहरों पर
जो लटकते हैं हर शुक्रवार को
सिनेमा के पोस्टर बदलने
और उनके गमछे में
रोटी की उष्मा को इकट्ठा होते देखा है मैंने
गेट पर तैनात पहरेदार
जिसे नहीं रहा कभी मतलब
बदलते सिनेमाओं के पोस्टरों से
उसके लिए तीन घंटे का समय
तीस दिन का राशनभर रहा
विशेष ब्रांड के खाद्य पदार्थों के डिब्बे
बिनकर बाहर लाते सफाई कर्मचारियों को
अक्सर बाहर ऊघते देखती हूं मैं
उनके लिए सिनेमा हॉल में बैठी भीड़
ब्रांडेड डिब्बे के अलावा कुछ नहीं है
जो उनके बहुत करीब से गुजरने पर भी
उनकी थकी हथेलियों का
कभी आभार प्रकट करती नहीं दिखी
मेरे लिए सिनेमाघर कभी
मनोरंजन का पता नहीं बना
मेरे शहर में आए राहगीरों को
रास्ता बताने भर के लिए मैंने इस्तेमाल किया
मेरे शहर का सिनेमाघर
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