१.
प्रतिक्षाएं रेत की तरह बह गयी
गुनाह कुछ नहीं था
बस खामोशी आडे़ आ गयी
२.
जिम्मेदारीयों ने हमेशा
मुझे भीड़ से अलग रखा
और आत्मविश्वास ने
मुझे कभी खोने नहीं दिया
३.
मेरी वफा़ की कोई किमत नही थी
तुम्हारी नजरों में
पर तुम्हारी बेवफाई की किमत
मेरी आंखें चूका रही है निरतंर
४.
भीड़ में भी अकेले है हम
पर अकेले ही
कारवां बना लेते हैं हम
गहन भाव सम्प्रेषित करती सुंदर क्षणिकाएं |
जवाब देंहटाएंमेरी वफा़ की कोई किमत नही थी
जवाब देंहटाएंतुम्हारी नजरों में
पर तुम्हारी बेवफाई की किमत
मेरी आंखें चूका रही है निरतंर
वाह!!!
क्या बात...
लाजवाब क्षणिकाएं
जी आभार
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