१.
अन्याय को देख
मेरा मौन होना
मेरी जिव्हा के
अघोषित मृत्यु का प्रमाण है ।
२.
बहुत कुछ गिरता है
गिर रहा है
पर विचलित नहीं करता है
पर इंसानियत का गिरना
विचलित ही नहीं भयभीत करता है ।
३.
माओं के स्तनों में
उमड़े दूध का गणित
बिगड़ रहा है इन दिनों
अपने ही आंगन में खिले
फूलों के लिए असमानता का
भाव पैदा हो रहा है धीरे-धीरे
यह स्वार्थ की पराकाष्ठा का प्रमाण है ।
४.
कुछ रिश्तों को बचाना था
इसलिए थोड़ा झुककर
उठा लिये
वरना हमारे भी स्वाभिमान में
एक मजबूत रीढ़ की हड्डी मौजूद है ।
वाह!गज़ब लिखा आपने 👌
जवाब देंहटाएंसुंदर क्षणिकाएँ...
जवाब देंहटाएंअद्भुत क्षणिकाएं।
जवाब देंहटाएंसभी सार्थक भाव समेटे कुंद होते विचारों पर प्रहार करती उत्तम क्षणिकाएं।