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अंधियारे को भेदकर

बौना नजर आता है
समाज का हर वो बांशिदा
जो जिम्मेदारियों को
रख नेताओं के कंधे पर
केवल शब्दों के
बाण देता है छोड़
आओ
उठाओं जिम्मेदारी का
चादर
जो गिरा
विकास पर बनकर
कफन
धरा की आत्मा से
उर्जा का रस निकालो
उडेल दो आसमान पे
और लगा दो बांशिदों के
पीठ पर एक पंख
जिसकी उडान
अँधेरे को भेदकर
उजाला कर दे ।

कावेरी

टिप्पणियाँ

  1. सुंदर। अपना नाम क्यों बदलना। सरिता सैल के नाम से लिखिए।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. धन्यवाद सराहना करने के लिए सर कावेरी मेरा जन्मनाम है सर

      हटाएं
  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 21 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं

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रिश्ते

अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, एक वो जो समय बीताकर निकल जाता है , और दुसरा उस रिश्ते का ज़हर तांउम्र पीता रहता है | हम रिश्तें को  किसी खाने के पेकट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं | या फिर तीन घटें के फिल्म के बाद उसकी टिकट को फेंक दिया जाता है | वैसे ही हम कही बार रिश्तें को डेस्पिन में फेककर आगे निकल जाते हैं पर हममें से कही लोग ऐसे भी होते हैं , जिनके लिए आसानी से आगे बड़ जाना रिश्तों को भुलाना मुमकिन नहीं होता है | ऐसे लोगों के हिस्से अक्सर घुटन भरा समय और तकलीफ ही आती है | माना की इस तेज रफ्तार जीवन की शैली में युज़ ऐड़ थ्रो का चलन बड़ रहा है और इस, चलन के चलते हमने धरा की गर्भ को तो विषैला बना ही दिया है पर रिश्तों में हम इस चलन को लाकर मनुष्य के ह्रदय में बसे विश्वास , संवेदना, और प्रेम जैसे खुबसूरत भावों को भी नष्ट करके ज़हर भर रहे हैं  

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