१
एक था चांद एक थी तुलसी
दोनों में प्रेम हुआ
चांद ने बादलों की आड़ में बेवफाई की
और मुंडेर पर बैठी तुलसी
ओस की बूंदों की आड़ में रोती रही ।
२
कुछ हाथ मरहम लगाने के
बहाने से आए तो थे पर
जख्मों को मेरा पता देकर चले गए ।
३
बसंत ने तमाम रंग मेरे हिस्से कर दिए थे
पर तुम्हारी बेवफाई का रंग इतना गहरा था कि सब रंग खामोशी से मेरी जीवन से उतर गए ।
४
दुनिया ने दिया दुःख
मैंने तुमसे बांटा
पर तुमने दिया दुःख
मैं किसी से बांट नहीं सकती ।
५
धरा पर पड़ी
बिवाईयां संकेत हैं
आसमान के रूठने की
कमाल की छोटी कविताएं
जवाब देंहटाएंबधाई
धन्यवाद सर
हटाएंएक से बढ़ कर एक💐
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मित्र
हटाएंअच्छी क्षणिकाएं। चौथी क्षणिका की अंतिम पंक्ति में किसी से कर लीजिए किससे की बजाय। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय गलती सुधार दी ।
हटाएंअच्छी क्षणिकाएं। बधाई
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