जब वह औरत मरी
तो रोने वाले ना के बराबर थे
जो थे वे बहुत दूर थे
खामोशी से श्मशान पर
आग जली और
रात की नीरवता में
अंधियारे से बतयाती बुझ गई
कमरे में झांकने से मिल गई थी
कुछ सुखी कलियां
जो फूल होने से बचाई गई थी
जैसे बसंत को रोक रही थी वो
कुछ डायरियों के पन्नों पर
नदी सूखी गई थी
तो कहीं पर यातनाओं का
वह पहाड़ था जहां
उसके समस्त जीवन के
पीडा़वों के वो पत्थर थे
जिसे ढोते ढोते
उसकी पीठ रक्त उकेर गई थी
कुछ पुराने खत जिस पर
नमक जम गया था
डाकिया अब राह भूल गया था
मरने के बाद उस औरत ने
बहुत कुछ पीछे छोड़ा था
पर उसे देखने के लिए
जिन नजरों की आज
जरूरत थी
उसी ने नजरें फेर ली थी
इसीलिए तो उस औरत ने
आंखें समय के पहले ही मुद ली थी ।
बहुत ही मार्मिक व हृदयस्पर्शि सृजन
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंमार्मिक रचना, हरेक के हिस्से में आते हैं कुछ पहाड़ और कुछ सूनी घाटियाँ जिनसे बच निकलने की कोशिश हर कोई करता है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
हटाएंअत्यंत मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंमार्मिक कविता। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआभार सर
हटाएंअत्यंत मार्मिक अभिव्यक्ति आदरणीय , बहुत शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंधन्यवाद आदरणीय
जवाब देंहटाएंओह ! बहुत ही मार्मिक एवं भावपूर्ण रचना ! अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति ! हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 09 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हृदयस्पर्शी सृजन।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंहृदय को झकझोरती मर्मस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंअविस्मरणीय।
मर्मस्पर्शी रचना...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
हटाएंमार्मिक और हृदयस्पर्शी रचना । जीवन की गहरी अनुभूति का परिचय करा गई ।
जवाब देंहटाएंआप का बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंमार्मिक ह्रदयस्पर्शी रचना,एक एक शब्द ह्रदय छू जातें हैं।
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मांतक शब्द चित्र है नारी जीवन का।
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